दीप नारायण नायक का परिवार बड़ा होते ही उन्होंने अभाव को देखा। उनके पिता सत्य नारायण नायक दिहाड़ी मजदूर थे। परिवार को भोजन की समस्या थी, लेकिन वह पढ़ाई में लगे रहे। दीप का बचपन कठिन था, वह हमेशा इस्तेमाल किया हुआ सामान मिलता था। वह अपनी पढ़ाई को बरकरार रखने में सफल रहे। आज वह एक प्रमुख शिक्षक हैं और गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। उन्होंने ग्लोबल टीचर प्राइज में सम्मान प्राप्त किया। उनकी शिक्षा में आर्थिक संकट आया, लेकिन वह इसका सामना किया।
2010 में उन्होंने अपने गाँव में पहली ओपन-एयर कक्षा शुरू की। वह दलित और आदिवासी बच्चों को पढ़ाते हैं। उनकी कक्षाओं में विभिन्न आयु वर्ग के छात्र हैं। उन्होंने सांपों के खतरे का सामना किया और गाँव में स्कूल शुरू किया। 2014 में उन्होंने मिट्टी की दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाए। उन्होंने मिट्टी और पानी के मिश्रण से ब्लैकबोर्ड बनाए। उनके स्कूल में लगभग 10,000 बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया। उन्होंने पढ़ाई को छोड़कर काम किया और फिर फिर से पढ़ाई शुरू की। उन्होंने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खाना भी प्रदान किया। उनके परिवार में आर्थिक संकट था, लेकिन वहने इसे हल किया। उन्होंने अपनी असमान शिक्षा के लिए समाज में उदाहरण स्थापित किया। उन्होंने समाज के गरीब और वंचित वर्गों के लिए कई योजनाएं चलाईं। उनकी कड़ी मेहनत और लगन ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।