अगर आपके जिंदगी में विफलता आ रही है तो समझ लीजिये सफलता आगे आपका इन्तजार कर रही है. सभी सफल लोगो की लगभग यही कहानी है. शुरू में सबको असफलता का मुह देखना होता है. बाद में सफलता हाथ लगती है. सफलता की राह सीधी नहीं होती हमेशा आड़े-टेड़े होती है. इंडिगो के मालिक और फाउंडर राहुल भाटिया ने भी शुरू में काफी बार असफलता का मुह देखा.
राहुल भाटिया के पिता एक टूर और ट्रेवल की कंपनी चलाते थे. जिसका नाम था दिल्ली एक्सप्रेस. यह कंपनी धीरे-धीरे घाटे में जाने लगी. राहुल भाटिया के पिता इस बिज़नस को लगभग 20 वर्षो के कर रहे थे. लेकिन अब नौबत ऐसी थी की कब यह बंद हो जायेगा किसी को पता नहीं है. इसी वक्त राहुल भाटिया कहीं प्राइवेट नौकरी करते है.
अपने पिता को मुश्किल में देख राहुल भाटिया ने यह तय किया की नौकरी को छोड़ कर वो अपने पुस्तैनी बिज़नस को आगे बढ़ाएंगे. फिर वो इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (Interglobe Aviation Ltd.) की स्थापना की. ये कंपनी असमान में हवाई जहाज उड़ाती है. 1992 के बाद सब कुछ अचानक बदल गया जब सरकार ने प्राइवेट कंपनी को लाइसेंस देना शुरू कर दिया.
तब से इंडिगो ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इंडिगो देश और विदेश सब जगह के लिए फ्लाइट में काम करने लगी. आज इस कंपनी का नेट कैप 1 लाख 46 हजार 490 करोड़ का है.