2005 में जन्मे एक लड़के ने समाज को एक नई दिशा में देखने का मौका दिया। जिस उम्र में बच्चे साधारणतः खेलते हैं और पढ़ाई के काम में व्यस्त रहते हैं, उसी उम्र में यह लड़का ने अपने पिता की थकान को देखकर एक नया व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। इस युवा उद्यमी ने कोरियर सेवा को एक नई दिशा देने का संकल्प किया और विशेष रूप से बच्चों और घर की महिलाओं के लिए एक 24 घंटे के भीतर डिलिवरी की सेवा शुरू की।
यह कहानी एक सफल उद्यमी तिलक मेहता की है, जिन्होंने सिर्फ 13 साल की उम्र में अपना व्यवसाय शुरू किया और अब उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपए है। वे हर दिन करीब 1 हजार ऑर्डर पूरे कर रहे हैं और अपनी कंपनी को और भी बढ़ावा देने की योजना बना रहे हैं।
तिलक मेहता के उदाहरण से स्पष्ट होता है कि आज की नौजवान पीढ़ी में नई सोच और उत्कृष्टता का दर्शन हो रहा है। यह न केवल अपने व्यक्तित्व को बनाने में सक्षम है बल्कि समाज के लिए भी नई दिशा देने में सक्षम है। इससे सामाजिक संरचना में नए परिवर्तनों की संभावनाएं उत्पन्न होती हैं और रोजगार के नए स्रोत खोजे जा सकते हैं।
यह उदाहरण बच्चों को एक प्रेरणास्त्रोत प्रदान करता है कि उम्र को कोई बाधा नहीं मानना चाहिए। चाहे उन्हें किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बनाना हो, यदि उनमें सही निर्णय और निष्ठा हो, तो वे अपने सपनों को हासिल कर सकते हैं। इसके साथ ही, यह उत्कृष्ट उदाहरण दर्शाता है कि सफलता का सिर्फ एक रास्ता नहीं होता, बल्कि उसे पाने के लिए कठिन परिश्रम और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार, तिलक मेहता की कहानी न केवल उदाहरण है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि साफलता के लिए आवश्यक है कि आपके पास जागरूक और निरंतर योग्यता हो। यह एक नया भविष्य और उत्तेजना का संदेश है कि आपकी उम्र या परिस्थितियों को आपकी सफलता की बाधा नहीं बनानी चाहिए।