कभी भी अपने गरीबी को अपने सपने के आड़े नहीं आने दीजिये. बल्कि उस गरीबी को ताकत बनाना चाहिए. क्योकि मेहनत ही एक ऐसा विकल्प है जिससे गरीबी दूर की जा सकती है. आज की कहानी ऐसी इन्सान की है जो महीने का सिर्फ 6 हजार रुपया कमाते थे. लेकिन अपने बच्चों की पढाई में कोई भी कसर नहीं छोड़ा.
उतर प्रदेश के आगरा के अर्जुन नगर में एक बेहद साधारण परिवार रहता है. जिस परिवार में पिता बलबीर सिंह मजदूरी करते है. बलबीर सिंह ने अपने बेटों और बेटियों के सपनों की पूर्ति के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। उनकी मेहनत और संघर्ष ने आखिरकार फल दिया है. जब उनके बेटे-बेटियों ने यूपी पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर चयन प्राप्त किया। बलबीर सिंह को काफी सम्मानित किया जा रहा है. माता और पिता दोनों की आँखें आंसू से भर गए थे।
- पिता की संघर्षमय जीवन: बलबीर सिंह ने नाइट शिफ्ट लगाकर 45 दिनों तक मेहनत करते रहे है. ताकि वह अपने परिवार का पेट पाल सकें। वह रोजाना टोरेंट पावर में संविदा पर लाइन खोदने और तार जोड़ने का काम करते है. और इससे महीने में छह हजार रुपये कमाते थे।
- बेटे की पढ़ाई: उपनिरीक्षक के पद पर चयनित हुए शशांक ने अपनी पढ़ाई शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कॉलेज से की। उसकी बहन सिमरन ने बीएससी आगरा कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।
- सम्मानित होने की खुशी: बलबीर सिंह के बेटे और बेटी दोनों ने यूपी पुलिस में उप निरीक्षक के पद पर चयन प्राप्त किया। उन्होंने अपने पिता को सैल्यूट किया.
यह कहानी एक मजदूर परिवार के बच्चों की मेहनत, संघर्ष और साहस का उदाहरण पेश कर रही है। बलबीर सिंह के संघर्ष से प्रेरित होकर उनके बेटे-बेटियों ने सपनों को पूरा करने में सफलता प्राप्त की, और उन्होंने अपने पिता को भी गर्वान्वित किया।