बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. अधिकतर आबादी यहाँ कृषि पर आश्रित है. लेकिन जिनके पास कम जमीने है वो मछली पालन कर रहे है. मछली पालन भी अच्छा मुनाफा होता. आसानी से कोई भी मछली पालक महीने के 40 से 50 हजार रुपया कमा सकता है. अब तो सरकार भी मछली पालन खोलने के लिए मदद कर रही है. आज की कहानी एक सास बहु की है. चौकिये मत यहाँ हम झगडा का कहानी नहीं बताने आये है बल्कि यह कहानी दोनों के प्रेम की है.

बेगूसराय जिले के मटिहानी की नेहा ने जब इंटर पास किया तो उन्हें कही भी ढंग की नौकरी नहीं मिल रही थी. घर चलाना मुश्किल हो रहा है. फिर उनके सास ने मछली पालन खोलने की सलाह दी. धीरे-धीरे वो दोनों सास और बहु मछली पालन के क्षेत्र में अनुभवी होने लगी.

उन दोनों को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। धीरे-धीरे उनको यह पता लगा की मछली पालन में लागत कम और मुनाफा ठीक है। बहु नेहा बताती है की महीने में 15 किलो से अधिक मछलियां बेचती हैं। मछली का दाम 250-300 रुपए प्रति किलो है। सास-बहू मिलकर 50 हजार से अधिक कमाई करती हैं। अगर साल में जोड़ा जाये तो 6 लाख रुपया कमाती है.

उनका हर महीने 400 रुपए का बिजली बिल आता है। नेहा को शुरू से ही मछली पालन का बहुत शौक था। उनके पोखर में 6 हजार पीस मछली होती है। मछली पालन से उनकी जिंदगी बदल गई। वह रेहू और ग्लास कप प्रजाति की मछलियां पालती हैं। उनकी मछलियों की मांग बाजार में है। मछली पालन से वह और उनका परिवार आर्थिक रूप से स्थिर हैं।