Murder-accused-proved-himself-innocent-by-studying-law
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बागपत में पुलिसकर्मी की हत्या के आरोप में अमित चौधरी पर केस दर्ज था। उसे 2 साल की जेल सजा सुनाई गई, लेकिन उसने निर्दोषता साबित करने के लिए कानून की पढ़ाई की। अमित ने सेना में भर्ती होने का सपना देखा था, पर अपराधिक मामले के कारण उसके पास पैसे नहीं थे। उसके दोस्तों ने उसकी मदद की और उसका साथ दिया जब वह आर्थिक तंगी में था। अमित ने जेल में रहकर वकालत की पढ़ाई की और अपने केस का समर्थन किया।

उसे 2 वर्षों के बाद जमानत पर रिहा किया गया। उसने स्नातक, LLB और LLM की पढ़ाई की। अपने मामले में अपनी निर्दोषता को साबित करने के बाद अमित आजाद हो गए। उन्होंने खुद के केस की पैरवी करके माथे पर लगे दाग को मिटाया। अमित ने अपराधिक न्याय में पीएचडी कर प्रोफेसर बनने का लक्ष्य बनाया है। उन्होंने अपनी ताकत को बदलकर अपने सपनों को पूरा करने का निर्णय लिया। उसकी उम्र 18 वर्ष थी जब केस दर्ज हुआ था। अमित ने जेल में रहते हुए अन्य बेगुनाहों को देखा जो केस की पैरवी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने खुद को साबित करने के लिए जमानत पर बाहर आने के बाद कानून की पढ़ाई की। उसके साथ 17 लोगों को भी मुलजिम बनाया गया था।

अमित ने स्नातक, LLB और LLM की पढ़ाई की जेल में। उसने अपनी सफलता के लिए अद्वितीय उत्साह और मेहनत दिखाई। अपराधिक मामले के बाद उसकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया। अमित के दोस्तों ने उसके साथ हमेशा खड़े रहा। उसने आर्थिक तंगी में गुजारा किया लेकिन हार नहीं मानी। अपने केस में अपनी निर्दोषता को साबित करने के लिए उसने कानून की पढ़ाई की। अमित चौधरी अपने अद्भुत संघर्ष के बावजूद अब एक प्रोफेसर बनने का सपना देख रहे हैं।