दक्षिण अंडमान की चेलम्मा ने पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त किया है। उन्हें प्यार से ‘नारियल अम्मा’ भी कहा जाता है। चेलम्मा की खेती ने नारियल के पेड़ों के बीच विभिन्न फसलों का उत्पादन किया है। वह ‘बहु-फसल प्रणाली’ का उपयोग करती हैं। उन्होंने जैविक खेती का प्रयोग किया है। उनकी खेती में केवल प्राकृतिक तरीके का उपयोग होता है। चेलम्मा ने ‘इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम’ का उपयोग किया है। उनकी खेती में कई तरह की फसलें उगाई जाती हैं। उनके बेटे रमाचंद्रन का सपना है कृषि पर्यटन को बढ़ावा देना।
रमाचंद्रन खेती के तरीकों को लोगों को दिखाना चाहते हैं। चेलम्मा की खेती में भारत के कृषि जगत में नवीनतम तकनीकों का उपयोग होता है। उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। चेलम्मा को नारियल बागान के लिए पद्म श्री पुरस्कार मिला है।
नारियल अम्मा का व्यक्तिगत उपलब्धि का सम्मान किया गया है। उनकी खेती का प्रकार प्रशंसित किया गया है। चेलम्मा ने कृषि में पर्यावरण के लिए जागरूकता फैलाई है।
नारियल अम्मा ने खेती में कार्यशैली का बदलाव किया है। चेलम्मा को भारतीय कृषि समुदाय में महत्वपूर्ण अवसर मिले हैं। उनकी खेती ने पर्यावरण की दिशा में उत्तम प्रकार से योगदान किया है। चेलम्मा को पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। चेलम्मा की खेती में उच्च गुणवत्ता वाली उत्पादन की जाती है। नारियल अम्मा ने खेती में विविधता बढ़ाने के लिए कई तरह की फसलें उगाई हैं। उनकी खेती में अन्य फसलों के साथ नारियल की खेती भी की जाती है। चेलम्मा की खेती में उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उगाए जाते हैं। चेलम्मा ने अपने खेती को समृद्ध बनाने के लिए प्रयास किए हैं। नारियल अम्मा ने अपने खेती में नवीनतम तकनीकों का उपयोग किया है।