सब लोग चाहते है वो अपना बिज़नस करे और मोटा पैसों के साथ-साथ इज्जत भी कमाए. और ये मुमकिन भी है. लेकिन इसके लिए बड़ी कीमत चुकानी होती है. कभी-कभी जिंदगी हार के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर देता है. फिर वहां से जिंदगी को सवारना होता है. कृष्णा यादव की कहानी भी इसी जीवन के उतार चढाव से प्रेरित है.

एक समय था कृष्णा यादव के जिंदगी में जब उनका गाड़ियों का बिज़नस था. लेकिन अचानक सब बंद होने लगा. कृष्णा यादव यादव और उनका परिवार काफी मुश्किल में पड़ गए थे. तभी कृष्णा यादव ने अपने घर से मात्र 500 रुपया लेकर आचार का काम शुरू किया और आज उनके आचार के कारोबार में 7000 महिलाए काम कर रही है.

कृष्णा यादव का बिजनेस इतना सफल हुआ कि वह करोड़ों रुपए कमा रही हैं। इस काम के लिए उनको कई तरह के अवार्ड भी मिल चुके है. 2015 में भारत सरकार द्वारा उन्हें नारी शक्ति सम्मान प्रदान किया गया। 2014 में हरियाणा सरकार ने उन्हें इनोवेटिव आइडिया के लिए सम्मानित किया। 2013 में वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में भी उन्हें सम्मानित किया गया था। 2010 में राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया था।

परिवार की स्थिति ख़राब होने के बाद कृष्णा दिल्ली आ गई थी. कृष्णा ने दिल्ली में उद्योग शुरू किया था, जिसमें अचार बनाना शामिल था। उन्होंने तय किया कि वह अचार बनाने की ट्रेनिंग लेंगी। उन्होंने किसानों से सब्जियां खरीदी और इसका उपयोग अचार बनाने में किया। उन्हें मिले कई सम्मान और उनकी यह कहानी हमें प्रेरित करती है कि किसी भी समस्या से निपटने के लिए जिम्मेदारी लेना और मेहनत करना ज़रूरी है।