मोहम्मद रिजवान का सपना था सेना में जाने का, लेकिन आर्थिक समस्याओं के कारण वह केवल कक्षा आठ तक ही पढ़ पाए। रिजवान ने अपने परिवार की सामूहिक सहायता के लिए काम किया। उन्होंने मुर्गी पालन का काम शुरू किया जिससे उन्हें समृद्धि मिली। मुर्गी पालन के लिए लोन भी लिया गया।
इस कार्य में 60 से 70 हजार रुपए की लागत आती है। सालाना तीन से चार लाख रुपए तक का मुनाफा होता है। रिजवान ने बैंक से लोन लिया और पोल्ट्री फार्म बनाया। वह अब लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। मुर्गी लाने के बाद 20 महीने तक कारोबार होता है। शुरुआती महीनों में मुर्गी के चूजे को पालकर उन्हें बड़ा करना होता है। मुर्गी चौथे महीने से ही अंडा देना शुरू कर देती है। रिजवान ने बताया कि सही साफ-सफाई बहुत जरूरी है।
उनका अनुभव दिखाता है कि मुर्गी की देखभाल की जरूरत है। साफ-सफाई का ध्यान न रखने पर बीमारी का खतरा होता है। मुर्गी के अंडे को बेचने के लिए उन्हें कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होती है। खरीदार मुर्गी फार्म से खरीद लेते हैं। इनकी बिक्री ऑनलाइन माध्यम के माध्यम से होती है। अपशिष्ट को खाद के रूप में बेचकर उन्हें तिगुना मुनाफा मिलता है। मुर्गी पालन के लिए खर्च भी कम होता है। रिजवान ने अपने क्षेत्र में नौकरियों का सिर्फ आर्थिक समाधान नहीं, बल्कि सामाजिक समाधान भी किया। उनका अनुभव लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
उन्होंने कठिनाईयों का मुकाबला करते हुए अपने सपनों को पूरा किया। अपने मेहनत और लगन से रिजवान ने अपने परिवार की स्थिति सुधारी। वह लोगों को दिखाते हैं कि मुश्किलों से निपटने का सही तरीका है मेहनत और संघर्ष। रिजवान का उदाहरण युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए अड़ी हैं।